सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य
सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य उदयपुर शहर, राजस्थान के पश्चिम में पाँच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह वन्यजीव अभ्यारण्य प्रसिद्ध सज्जनगढ़ महल को घेरे हुये है। इस महल से उदयपुर के तालाबों और अरावली की पहाड़ियों का ख़ूबसूरत नज़ारा देखने को मिलता है। बंसदरा पहाड़ सुर्योदय और सुर्यास्त देखने के लिये यहाँ आने वाले प्रत्येक पर्यटक को आकर्षित करता है। अरावली पर्वत शृंखला के सघन वन क्षेत्र में उदयपुर के प्राचीन आखेट स्थल को सन 1987 में यह नाम दिया गया था। अभयारण्य के आसपास के क्षेत्र में, एक मछली के आकार की अद्वितीय मछला मगर नामक पहाड़ी है, जो काफी खूबसूरत है। हिंदू भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर भी अभयारण्य के पास स्थित है।
यह अभयारण्य 519 वर्ग कि.मी. के क्षेत्र में विस्तृत है। इस सफारी उद्यान में वन्य पशु, जैसे- चीतल, सांभर, जंगली सूअर, शेर, लंगूर, और नीलगाय देखने को मिलते हैं। विभिन्न सरीसृप और पक्षियों के अलावा चीता, बिज्जू, खरगोश और सियार आदि भी देखने को मिलते हैं। अभ्यारण्य की दीवार को आगे ले जाते हुये संपूर्ण पहाड़ को कंटीले तारों से सुरक्षित कर दिया गया है, जिससे अभ्यारण्य क्षेत्र में वनस्पतियों में वृद्घि हुई है।
सज्जनग़ढ़ की उत्तरपूर्वी दिशा में कुछ ही दूरी पर पहाड़ में 'जियान सागर' नामक एक कृत्रिम तालाब है, जिसे 'धबरी तालबध' या 'टाइगर लेक' के नाम से जाना जाता है। मेवाड़ के पूर्वराजा महाराणा राजसिंह ने 1664 ई. में इस तालाब को बनवाया था और महाराणा की माँ जनदेवी के नाम पर से इस तालाब का नाम रखा गया था। यह तालाब 125 वर्ग मील के क्षेत्र में फैला हुआ है और 400 मिलियन क्यूबिक फुट की जल भण्डारण क्षमता रखता है।
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