उदयपुर
उदयपुर राजस्थान प्रान्त का एक शहर है।। यह शहर
सन् 1559 मे शिशोदिया राजवंश के वन्शज महाराणा उदय
सिंह ने स्थापित किया था। उदयपुर एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जो अपने इतिहास,
संस्कृति
एवम् अपने आकर्षक स्थलों के लिये मशहूर है। अपनी प्रसिद्ध झीलो के कारण यह
शहर 'झीलों की नगरी' के नाम से भी जाना जाता है। उदयपुर शहर सिसोदिया राजवंश
द्वारा शासित मेवाड़ की राजधानी रहा है।
महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने उदयपुर को 1559 में बनास नदी
पर, नागदा के दक्षिण पश्चिम गिर्वा घाटी में मेवाड़ राज्य की नई राजधानी
के रूप में स्थापित किया गया था।
8वीं से 16वीं सदी तक बप्पा रावल के वंशजो ने शासन किया और तभी से यह
राज्य मेवाड के नाम से जाना जाता है। बुद्धि तथा सुन्दरता के लिये
विख्यात महारानी पद्मिनी भी यहीं की थी। कहा
जाता है कि उसकी एक झलक पाने के लिये सल्तनत दिल्ली के सुल्तान अल्लाउदीन
खिलजी ने इस किले पर आक्रमण किया। रानी ने अपने चेहरे की परछाई को लोटस कुण्ड में
दिखाया। इसके बाद उसकी इच्छा रानी को ले जाने की हुयी। पर यह संभव न हो सका।
क्योंकि महारानी सहित सभी रानियों और सभी महिलाऐं एक एक कर जलती हुयी आग जिसे
विख्यात जौहर के नाम से जानते है, में कूद गयी और
अल्लाउदीन खिलजी की इच्छा पूरी न हो सकी।
मुख्य शासकों में बप्पा रावल (1433-68), राणा सांगा (1509-27)
जिनके
शरीर पर 80 घाव, एक टांग और हाथ से(अपंग) होने के बावजूद भी सामान्य शासक
थे | सबसे प्रमुख महाराणा
प्रताप (1572-92) हुये जिन्होने अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं
की और बिना राजधानी के राज्य किया।
दर्शनीय स्थल : उदयपुर के पर्यटन स्थल
पिछोला झील
महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने इस शहर की खोज के बाद इस झील
का विस्तार कराया था। झील में दो द्वीप हैं और दोनों पर महल बने हुए हैं। एक है जग
निवास, जो अब लेक पैलेस होटल बन चुका है और दूसरा है जग मंदिर। दोनों ही महल
राजस्थानी शिल्पकला के बेहतरीन उदाहरण हैं, बोट द्वारा जाकर
इन्हें देखा जा सकता है।
जग निवास द्वीप, उदयपुर
पिछोला झील पर बने द्वीप पैलेस में से एक यह महल, जो अब एक
सुविधाजनक होटल का रूप ले चुका है। कोर्टयार्ड, कमल के तालाब और आम के
पेड़ों की छांव में बना स्विमिंग-पूल
मौज-मस्ती
करने वालों के लिए एक आदर्श स्थान है। आप यहां आएं और यहां रहने तथा खाने का आनंद
लें, किंतु आप इसके भीतरी हिस्सों में नहीं जा सकते।
जग मंदिर, उदयपुर
पिछोला झील पर बना एक अन्य द्वीप पैलेस। यह महल महाराजा करण
सिंह द्वारा बनवाया गया था, किंतु महाराजा जगत सिंह ने इसका विस्तार कराया। महल से बहुत
शानदार दृश्य दिखाई देते हैं, गोल्डन महल की सुंदरता दुर्लभ और भव्य है।
सिटी पैलेस, उदयपुर
प्रसिद्ध और शानदार सिटी पैलेस उदयपुर के जीवन का अभिन्न
अंग है। यह राजस्थान का सबसे बड़ा महल है। इस महल का निर्माण शहर के संस्थापक
महाराणा उदय सिंह-द्वितीय
ने करवाया था। उनके बाद आने वाले राजाओं ने इसमें विस्तार कार्य किए। तो भी इसके
निर्माण में आश्चर्यजनक समानताएं हैं। महल में जाने के लिए उत्तरी ओर
से बड़ीपोल से और त्रिपोलिया द्वार से प्रवेश किया जा सकता है।
शिल्पग्राम, उदयपुर
यह एक शिल्पग्राम है, जहां गोवा, गुजरात
राजस्थान और महाराष्ट्र के पारंपररिक घरों को दिखाया गया है। यहां इन राज्यों के
शास्त्रीय संगीत और नृत्य भी प्रदर्शित किए जाते हैं।
सज्जनगढ़ (मानसून पैलेस)
उदयपुर शहर के दक्षिण में अरावली पर्वतमाला के एक पहाढ़ की
चोटी पर इस महल का निर्माण महाराजा सज्जन सिंह ने करवाया था। यहाँ गर्मियों में भी
अच्छी ठंडी हवा चलती है। सज्जनगढ़ से उदयपुर शहर और इसकी झीलों का सुंदर नज़ारा
दिखता है। पहाड़ की तलहटी में अभयारण्य है। सायंकाल में यह महल रोशनी से जगमगा
उठता है, जो देखने में बहुत सुंदर दिखाई पड़ता है।
फतेह सागर
महाराणा जय सिंह द्वारा निर्मित यह झील बाढ़ के कारण नष्ट
हो गई थी, बाद में महाराणा फतेह सिंह ने इसका पुनर्निर्माण करवाया। झील के बीचों-बीच एक बागीचा ,
नेहरु
गार्डन, स्थित है। आप बोट अथवा आटो द्वारा झील तक पहुंच सकते हैं।
मोती मगरी
यहां प्रसिद्ध राजपूत राजा महाराणा प्रताप की मूर्ति है।
मोती मगरी फतेहसागर के पास की पहाड़ी पर स्थित है। मूर्ति तक जाने वाले रास्तों के
आसपास सुंदर बगीचे हैं, विशेषकर जापानी रॉक गार्डन दर्शनीय हैं।
सहेलियों की बाड़ी
सहेलियों की बाड़ी / दासियों के सम्मान में बना बाग एक सजा-धजा बाग है। इसमें,
कमल के
तालाब, फव्वारे, संगमरमर के हाथी और कियोस्क बने हुए हैं।
नाथद्वारा ४८ किलोमीटर दूर है उदयपुर से
कुंभलगढ ८० किलोमीटर
कांकरोली ७० किलोमीटर
ऋषभदेव यह केसरिया जी के नाम से भी प्रसिद्ध है।
एकलिगजी१३ किलोमीटर
हल्दीघाटी २६ मील की दूरी पर स्थित
जयसमन्द झील
रणकपुर
चित्तौडगढ
जगत
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